ब्लैक में बिक रही देसी शराब, इसलिए सैनिटाइजर ही पीने लगे, 40 रुपए की बाॅटल में 2 क्वार्टर का नशा
सागर।कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए उपयोग में लाए जाने वाला सैनिटाइजर देसी शराब के विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। कोरोना कर्फ्यू के कारण शराब दुकानें बंद चल रही हैं। ऐसे में देसी व अंग्रेजी शराब की ब्लैक मार्केटिंग बढ़ गई है। शराबियों को ब्लैक में शराब खरीदने पर ज्यादा दाम चुकाना पड़ रहे हैं।
मध्यम और निचले तबके के लोग खासकर मजदूर वर्ग सैनिटाइजर से नशे का जानलेवा शौक पूरा कर रहा है। किसी भी मेडिकल स्टोर्स से आसानी से उपलब्ध हो रही सैनिटाइजर की 40 रुपए की बाॅटल से देसी मसाला के दो क्वार्टर के बराबर नशा मिल रहा है। जान खतरे में डालकर लोग सैनिटाइजर पी रहे हैं। भास्कर टीम मंगलवार को संत रविदास वार्ड, अंबेडकर, विट्ठलनगर, भगतसिंह और अन्य झुग्गी बस्तियों में पहुंची तो कई जगह लोग सैनिटाइजर पीते मिले।
यह है बचत और ज्यादा नशे का खेल-सैनिटाइजर में 80-90 प्रतिशत एल्कोहल रहती है, जबकि शराब में 35 प्रतिशत तक। इस तरह सैनिटाइजर की एक बाॅटल से दो पऊआ का नशा हो जाता है। सीधे 200 रुपए तक की बचत हो जाती है। मसाला देसी का एक पऊआ ब्लैक में 150 रुपए तक में बिक रहा है। सैनिटाइजरसे जल्दी और ज्यादा नशा हो रहा है। जिससे लोगों में इसकी लत बढ़ रही है।
मेडिकल स्टोर्स से सबसे ज्यादा सैनिटाइजर की बिक्री-खुरई रोड और अन्य इलाकों के मेडिकल स्टोर्स इस समय सबसे ज्यादा सैनिटाइजर बिक रहा है। जीनियस नाम के हैंड सैनेटाइजर का उपयोग शराब के रूप में हो रहा है। सैनेटाइजर की खरीद-बिक्री पर पुलिस प्रशासन की लगाम नहीं है।
शराब हो लेकर आए दिन हो रहे लड़ाई-झगड़े-सैनिटाइजर में शराब से कहीं ज्यादा नशा रहता है। मोतीनगर थाना क्षेत्र में आए दिन शराबियों के बीच लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं। कुछ दिन पहले करीला इलाके में सैनिटाइजर पीने के बाद चार युवकों ने साथी एक युवक के सिर पर पत्थर पटक दिया था। गनीमत रही की उसकी जान बच गई। एडिशनल एसपी सिटी विक्रम सिंह कुशवाहा का कहना है जिन इलाकों में लोग शराब के रूप में सैनिटाइजर पी रहे हैं, वहां के मेडिकल स्टोर्स संचालकों से इसकी बिक्री के संबंध में चर्चा करेंगे।