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ग्वालियर में 26 कोविड मृतकों के अंतिम संस्कार मुक्तिधाम में वेदी कम पड़ीं, जमीन पर जली चिताएं

कोरोना का तांडब जारी


ग्वालियर।मंगलवार…रात के 8 बज रहे थे, लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में खामोशी के बीच नौ चिताएं जमीन पर जल रही थीं, जबकि तीन चिताओं के लिए लोग जगह की तलाश में थे, क्योंकि गैस चलित शवदाह गृह में एक शव की अंत्येष्टि में दो घंटे लग रहे थे। एकसाथ तीन शवों के मुक्तिधाम में पहुंचने के कारण यहां अंत्येष्टि के लिए मृतक के परिजन को 4 से 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा था। इस कारण लोगों ने अपने हाथों से चिताएं सजाकर अपनों के अंतिम संस्कार की क्रिया पूर्ण की।
देर रात तक यहां कोविड से मृत 26 लोगों के अंतिम संस्कार हुए। इनमें 14 का अंतिम संस्कार शवदाह गृह में रात आठ बजे तक हो चुका था। शेष मृतकों का अंतिम संस्कार चबूतरे और जमीन पर करना पड़ा। इनमें एक दिन पहले मरने वाले लोगों की अंत्येष्टि भी शामिल हैं। सोमवार को भी कोविड से मृत लोगों के अंतिम संस्कार यहां कंडे और लकड़ी से किया गया था। इस वजह से ज्यादातर चबूतरों पर अस्थियां और राख रखी हुई थी। मंगलवार को मरने वालों की संख्या ज्यादा होने से दिन भर कोरोना से मरे लोगों के शवों को लाने का सिलसिला चलता रहा।
खुद चिताएं सजाईं और पीपीई किट पहनकर दिया दाग-लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में हालात कुछ ऐसे थे कि अंतिम यात्रा में आए लोगों ने कोरोना संक्रमण से मरे अपने लोगों की चिताओं को खुद सजाया। सुरक्षा की दृष्टि से परिजनों ने दाह संस्कार करते वक्त पीपीई किट पहन रखी थी।
परिजन का दर्द…भगवान ऐसा मंजर फिर न दिखाए-लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में मृतकों के परिजनों का कहना था कि भगवान ऐसा मंजर जीवन में आगे कभी न दिखाए। जहां अंतिम पड़ाव पर भी शवों को इंतजार करना पड़ा। लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में रहने वाले सोनू का कहना है कि मैंने पहले कभी ऐसा नजारा नहीं देखा। आजकल मैं रोज सुबह छह बजे आ जाता हूं और दोपहर भर यहां रहता हूं, ताकि ज्यादा से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके। अभी खाना खाकर फिर लौट आया हूं। तीन शव और शववाहिका में रखे हुए हैं। लोगों को शव जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

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