जब देहरादून मोक्ष धाम से लौटाए जाने लगे शव
देहरादून। शहर के मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार के लिए शवों की संख्या कम नहीं हो रही है। लक्खीबाग स्थित मोक्ष धाम में सोशल डिस्टेंसिंग और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक दिन में 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके लिए पहले टोकन की व्यवस्था की गई है। शुक्रवार को मोक्ष धाम के सभी टोकन बुक होने से आठ शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो सका और उन्हें वहां से लौटा कर किसी अन्य मोक्ष धाम के लिए भेजा गया। मोक्ष धाम के पंडित अनिल शर्मा ने बताया कि मोक्ष धाम में एक दिन में 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। शुक्रवार को भी 20 शवों को अंतिम संस्कार किया गया। जिसके बाद अंतिम संस्कार के लिए आए करीब आठ शवों का बिना अंतिम संस्कार किए लौटा दिया गया। ऐसे में लौटाए गए शवों का टपकेश्वर और मालदेवता में अंतिम संस्कार कराया गया। शर्मा ने बताया कि मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार कराने के लिए पहले टोकन लेना पड़ता है। जीवन की अंतिम यात्रा पर भी अब आर्थिक बोझ पड़ रहा है। लोगों को कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में महंगे खर्च की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं आसानी से एंबुलेंस भी नहीं मिल पा रही है। जबकि श्मशान घाट में कोरोना संक्रमितों के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए करीब चार हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
शुक्रवार को करीब दोपहर दो बजे दून अस्पताल के बाहर मौजूद एक एंबुलेंस के चालक ने बताया कि कोरोना संक्रमित शव को शहर के श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए करीब ढाई से तीन हजार रुपये लिए जा रहे हैं
वहां मौजूद एक कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन ने बताया कि दूसरे अस्पताल में अपने मरीज को शिफ्ट करने के लिए पिछले दो घंटे से एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। घंटों इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस वाले ऊंचे दाम बोल रहे हैं।
लक्खीबाग स्थित मोक्ष धाम के पंडित अनिल शर्मा ने बताया कि बीते कुछ दिन पहले मोक्ष धाम के दो कर्मचारी कोरोना संक्रमित होने के बाद बाहर से कर्मचारी बुलाए गए थे। जिनकी मजदूरी अधिक होने के चलते अंतिम संस्कार के कुछ दाम बढ़ाए गए थे। लेकिन, कर्मचारियों के वापस लौटने के बाद अब एक अंतिम संस्कार के लिए तीन से चार हजार रुपये लिए जा रहे हैं।
कोरोना संक्रमित व्यक्ति और शव को एंबुलेंस के चालक और परिचालक हाथ नहीं लगा रहे हैं। अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंबुलेंस भी पीपीई किट पहन कर चला रहे हैं। जिसका चार्ज भी परिजनों से वसूला जा रहा है।