गर्भवती जुड़वा बच्चों की मां ने कोरोना को हराया
झाबुआ।कोरोना को हराकर जिंदगी जीतने वालों की कहानियों के बीच ये कहानी उस महिला की है, जिसने खुद को तो कोरोना से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी ही, साथ ही गर्भ में पल रहे अपने दो बच्चों के लिए भी ये जंग जीती। झाबुआ की अंतिमबाला पति संजय हाड़ा को कोरोना हो गया था। 25 अप्रैल को उन्हें गंभीर स्थिति में दाहोद के जायडस मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। यहां डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे बच्चों को ध्यान में रखते हुए इलाज दिया।
बच्चों को खतरा होने की संभावना के कारण सीधे ऑक्सीजन नहीं दी गई। बायपेप मशीन पर अंतिमबाला को रखा गया। नर्सिंग स्टाफ ने मरीज का खास ध्यान रखा। आखिर में अंतिमबाला ने कोरोना को हरा दिया। गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चे भी सुरक्षित हैं।
उपचार के दौरान एक समय अंतिमबाला का ऑक्सीजन लेवल 88 तक आ गया था। परिजन ने बताया, मार्च के मध्य में उन्हें कोरोनरी हृदय रोग हुआ था। कुछ दिनों से सांस लेने में दिक्कत थी। पति-पत्नी घर में अलग-अलग रह रहे थे। 10 दिन पहले अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। स्थानीय स्तर पर इलाज के बाद दाहोद सिविल अस्पताल लाए। यहां से जायडस मेडिकल कॉलेज लेकर गए। दोनों अस्पताल के डॉक्टरों ने उपचार शुरू किया।
गर्भ में जुड़वां बच्चे भी हैं-जायडस के डॉ. कमलेश निनामा ने उपचार शुरू किया। पता चला, गर्भ में जुड़वां बच्चे भी हैं। ऐसे में सावधानी अतिरिक्त रूप से रखना जरूरी था। डॉक्टरों ने बताया, जैसा की रिसर्च में सामने आया है, कोरोना का नया स्ट्रेन गर्भवतियों को अधिक प्रभावित करता है। ऐसे में काफी सावधानी जरूरी थी। उन्हें बायपेप वेंटिलेटर से ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की कोशिश की गई। 4 दिन तक अंतिमबाला इसके सपोर्ट पर रही। इसके बाद हालत में सुधार होने लगा। लेकिन सबसे खास बात थी पेशेंट की पॉजिटिविटी।
हाई प्रोटीन डाइट दी-डॉक्टरों ने बताया, गर्भावस्था को देखते हुए डाइट प्लान भी अलग से तैयार किया गया था। जैसे ही वो भोजन करने की स्थिति में आई, हाई प्रोटीन डाइट देना शुरू किया। कई बार अस्पताल की नर्स हाथ से भी खाना खिलाती थी। अब अंतिमबाला पूरी तरह से ठीक हैं और गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चे भी।
मुझे बच्चों के लिए ठीक होना था-अंतिमबाला के अनुसार अस्पताल में स्टाफ नर्सों ने बहन की तरह ध्यान रखा। वो कोरोना से लड़ाई में मेरी मददगार साबित हुईं। मैंने कभी ये विचार मन में नहीं आने दिया कि कोरोना मुझे हरा देगा। मुझे अपने बच्चों के लिए ये लड़ाई लड़ना थी। जो लोग इस बीमारी से डरकर जान गवां रहे हैं, उनसे भी यही कहना है कि आत्मविश्वास सबसे जरूरी है। डॉक्टर की सलाह मानें और सकारात्मक विचार रखें।
ये है बायपेप वेंटिलेटर मशीन-छोटा सा मेडिकल उपकरण है। ये सांस लेने की समस्या को दूर करने में उपयोगी है। इसकी मदद से ऑक्सीजन प्रेशर के साथ फेफड़ों तक पहुंचाई जाती है। प्रेशर लेवल सेट किया जा सकता है। शरीर से कॉर्बन डाइ ऑक्साइड भी बाहर निकालने में मदद करती है। जब मरीज सांस लेता है तो ये ऑटोमैटिकली प्रेशर बढ़ा देती है और सांस छोड़ते समय प्रेशर कम कर देती है।