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संतोष नाम में उलझे डॉक्टर, एक को 10 दिन तक जिंदा बताया, फिर लावारिस में किया अंतिम संस्कार


उत्तर प्रदेश ।मेरठ मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की इंतहा हुई है। जिस संतोष कुमार (64) को उनके परिजन तलाश रहे थे, उनकी मृत्यु तो भर्ती करने के तीसरे ही दिन ही हो गई थी। अंतिम संस्कार भी लावारिस में कर दिया गया। स्टाफ परिजनों को 10 दिन तक उनके जिंदा होने की सूचना देता रहा। अब प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने मौत की पुष्टि की है। साथ ही उन्होंने जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। इसमें डॉ. केएन तिवारी और डॉ. ज्ञानेश्वर टांक शामिल हैं। 64 वर्षीय संतोष कुमार पुत्र सीताराम एमईएस से रिटायर्ड थे। वह मूलरूप से बरेली के रहने वाले थे। इन दिनों वह गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में अपनी बेटी शिवांगी और दामाद अंकित के साथ रह रहे थे। शिवांगी ने बताया कि 21 अप्रैल 11.36 बजे उन्होंने अपने पिता को मेरठ मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती कराया था। इसके बाद वह अपने पिता का फोन से हालचाल लेती रहीं। 2 मई को उन्हें बताया गया कि उनके पिता अब आईसीयू में हैं और उनका आक्सीजन लेवल 77 है। 3 मई की सुबह मेडिकल कॉलेज कोविड सेंटर फोन करने पर उन्हें बताया गया कि उनके पिता अभी भी आईसीयू में हैं। आक्सीजन लेवल 92 है। 
इसके बाद उसी दिन शाम को मरीज का अपडेट पूछने पर कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई। शुक्रवार को उन्होंने मेडिकल कॉलेज में अपनी पिता की काफी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिले।
दामाद अंकित ने बताया कि मेडिकल थाने के एसएचओ प्रमोद गौतम का फोन हमारे पास आया था। उन्होंने बताया कि 23 तारीख को संतोष कुमार की मौत हो गई थी। हालांकि अंतिम संस्कार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
संतोष नाम की तीन मरीज, उलझा स्टाफ-प्रिंसिपल ने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि संतोष कुमार की 23 अप्रैल को ही मौत हो गई थी। उस समय संतोष नाम के तीन मरीज भर्ती थे। गलती से दूसरे संतोष नाम के मरीज के बारे में जानकारी दे दी गई। मृतक संतोष के शव के बारे में पूछे जाने पर प्रिंसिपल ने बताया कि इस संबंध में जांच जारी है।
 पैर पर लिखते थे नाम.. नहीं लिखा था -मेडिकल प्रबंधन का कहना है की जो फाइल बनी थी, उसमें किसी का मोबाइल नंबर नहीं लिखा था, जिस कारण परिजनों को सूचना नहीं दे सके। लेकिन मरीज की भर्ती होने पर हर मरीज के पैर पर मारकर से नाम लिखा जाता है, जो उनके पैर पर लिखा हुआ नहीं था।
डेड बॉडी पैक करते समय बॉडी बैग पर भी स्लिप नहीं लगाई गई थी। एसएचओ प्रमोद गौतम का कहना है की संतोष का अंतिम संस्कार किस दिन किया गया, इस बारे में छानबीन की जा रही है।

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