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यूपी के उन्नाव में नदी किनारे मिली सैकड़ों लाशें, आवारा कुत्ते नोंच रहे थे शवों का मास


उन्नाव।एक मृत शरीर का आंतिम संस्कार करना एक आत्मा को मुक्ती दिलाने जैसा माना जाता है। कोरोना काल में हालात ऐसे हो गये कि इंसान की सांसे तो छिन ही गयी लेकिन लोगों के शरीर को उनका आखिरी श्अंतिम संस्कारश् का अधिकार भी प्राप्त नहीं हुआ। सरकार की बेदम व्यवस्था ने लोगों का दम निकाल कर रख दिया। सिस्टम की नाकामी और हालात के मारे लोग अपनों को लेकर इधर-उधर भटकते रहे लेकिन सरकार की खोखली व्यवस्था उन्हें ऑक्सीजन का एक कतरा न दे सकी। कोरोना की इस त्रासदी लोगों को खून के आंसू रोने पर विवश कर दिया। वहीं दूसरी तरफ सरकारे एक दूसरे पर आरोप लगाती रही।
सोचिए कोरोना में हालात कितने विभत्स है जो लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी जगह नहीं मिली। शमशान में कई दिनों तक इंतजार करने के बाद लोगों ने विवश होकर अपनों के शवों को नदी में डूबों दिया। अब गंगा नदी में डुबोए गये शव गंगा किनारों पर तैर कर आ रहे हैं। गंगा किनारों पर एक साथ- 50-60 लाशें बह कर इकठ्ठा हो रही है। ये मंजर बहुत ही भयानक है। लाशों की हालत देश कर कलेजा फट जाता है।
बिहार के गंगा नदी में शव तैरते पाए जाने के कुछ ही दिन बाद अब उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ये मंजर देखा जा रहा है। उन्नाव जिले में भी ऐसी ही घटनाएँ देखने को मिल रही हैं। उन्नाव के एक गांव में नदी के किनारे रेत में सेकड़ों शवों को दफनाया गया है। हवा से नदी किनारे की रेत उड़ जाने के कारण शव दिखाई देने लगे। इस शवों को आवारा कुत्ते खा रहे हैं। ये दृश्य बेहद ही दर्दनाक है।

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