सैल्यूट-पति की मौत, बेटे की शादी रुकी फिर भी ड्यूटी पर तैनात
नागदा।कोरोना संक्रमण की महामारी ने हर किसी को हताहत कर रखा है। जहां मरीज और परिजन उपचार के लिए अस्पताल में जुटे हुए हैं तो अस्पताल का स्टाफ भी लगातार ड्यूटी दे रहा है। यही नहीं, स्टाफ स्वयं और परिवार की चिंता छोड़कर मरीजों का उपचार कर रहा हैं।
मीडिया ने बुधवार को सरकारी अस्पताल पहुंचकर जब स्टाफ से चर्चा की तो पता चला कि वह भी अपनी खुशियां और परिवार की चिंता छोड़कर अपना फर्ज निभाने के लिए मरीजों की सेवा कर रहे हैं। कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने अपने दूधमुंहे बच्चों को परिवार के भरोसे छोड़ा हुआ है तो किसी ने अपनों को खोया है, फिर भी वह अपना काम कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी ड्यूटी निभाने के लिए कई त्याग किए हैं।
ससुर की मौत, फिर भी फर्ज निभाने अस्पताल पहुंची बहू-उज्जैन निवासी विद्या की शादी 25 अप्रैल 2021 को आलोट निवासी महिपाल सिंह झाला से हुई। शादी के दूसरे दिन ही ससुर मनोहर सिंह की तबीयत खराब हुई तो सरकारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया। उनकी शुगर बढ़ी थी। विद्या ने भी दूसरे दिन से ही आईसीयू में ड्यूटी ज्वाइन कर ली।
वह मरीजों के साथ ससुर की सेवा करने लगी लेकिन मनोहर सिंह की उपचार के दौरान मौत हो गई। विद्या ने 4 दिन की छुट्टी ली और वापस मरीजों की सेवा के लिए आईसीयू पहुंच गईं। विद्या आलोट से आती हैं। पति महिपाल सिंह कोच्ची केरला में नेवी में हैं, जो एक माह के अवकाश पर आए हैं तो वह प्रतिदिन विद्या को लेकर आते हैं और 6 घंटे बाहर ही उनका इंतजार करते हैं।
दूधमुंही बच्ची को छोड़ मरीजों की सेवा कर रही-पिपलौदा जावरा निवासी शबनम की शादी मंदसौर निवासी सलमान काजी से हुई। वह टेलरिंग का काम करते हैं। शबनम की 6 माह की बेटी अनम काजी है। शबनम बीते एक माह से मरीजों के उपचार में लगी हुई है। ऐसे में वह बीते एक माह में मात्र 1 बार ही अपनी बेटी को दुलार करने ईद पर पहुंच पाई। शबनम यहां अपनी मौसी के घर पर रहती हैं।
अस्पताल में भी कई बार बच्ची को वीडियो काॅलिंग पर देखकर ही अपना हौंसला बुलंद कर लेती हैं और फोन पर ही अपनी बेटी को दुलार भी कर लेती हैं। शबनम कहती हैं कि जब मैं अपनी बच्ची और घर को कोरोना की जंग में छोड़ सकती हूं तो क्या आप अपने घर में नहीं रह सकते।
बेटी बैतूल में नानी के पास मां आशा कर रही ड्यूटी-2015 से कार्यरत आशा मूलत बैतूल निवासी है। शादी छिंदवाड़ा में हुई। पति किशन पंवार भोपाल में कार्यरत है। आशा की डेढ़ साल की बेटी याचिका पंवार है, जो पहले आशा के पास ही थी। यहां ड्यूटी के दौरान घर पर काम करने वाली बाई उसे संभालती थी। अब आशा आईसीयू में ड्यूटी दे रही हैं।
ऐसे में संक्रमण की संभावना को लेकर उन्होंने याचिका को बैतूल नानी के पास भेज दिया ताकि संक्रमण का डर न रहे और सुरक्षित रह सके। वह आईसीयू से फ्री होकर घर जाने के बाद वीडियो काॅलिंग पर ही बेटी को देख कर दुलार करती हैं। फोन पर ही बेटी से बात कर अपना मन बहला लेती हैं। वे कहती हैं लोगों को नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि सुरक्षित रहें।
संक्रमण घर ना पहुॅचे इसका डर सताता है-मेडिकल ऑफिसर डाॅ. समन कुरैशी आईसीयू में ड्यूटी दे रही हैं। उनका 6 माह का बेटा है। 6 अप्रैल को ही उन्होंने मातृत्व अवकाश खत्म होने पर ड्यूटी ज्वाइन की और 5 मई से उनकी ड्यूटी आईसीयू में लगा दी गई। उनके पिता इरशाद मोहम्मद कोटा फाटक में रहते हैं और वह उनके साथ ही रह रही हैं। ऐसे में ड्यूटी के समय बेटे को मां असमा संभालती हैं। डाॅ. समन कुरैशी बोलीं कि आईसीयू के बाद जब घर जाते हैं तो डर रहता है कि संक्रमण घर न चला जाए। घर जाते ही सुरक्षा के तौर पर कई उपाय करते हैं, यहां तक कि कुछ समय के लिए बच्चे से भी दूर रहते हैं। ऐसे में लोगों को सोचना चाहिए अगर उनके घर रहने से संक्रमण कम होता है तो वह बेवजह घर से बाहर न निकले।
पति की मौत, बेटे की शादी रुकी, फिर भी काम पर-सफाईमित्र अनीता पति मांगीलाल डागर सरकारी अस्पताल में पदस्थ हैं। पति मांगीलाल को अटैक आया और 25 अप्रैल को मौत हो गई। आशा का एक बेटा सचिन और दो बेटी है। बेटे सचिन की 25 मई को जावरा के पास रानी गांव में शादी होने वाली थी लेकिन पत्रिका तक घर में ही रह गई। उसके बाद भी हिम्मत रख अनीता दोबारा काम पर लौटीं और मरीजों के बीच ही अपना काम कर रही हैं।
ये भी जुटे रू अस्पताल में सोनम मेश्राम, शंकुतला राठौर, सावली मसीह, संध्या चिढवाल, सपना साहनी, बेनजीर अंसारी, रीना सांकते, सुधा चैहान, प्रीति वाॅलेट, स्वीटा सिस्टर, गायत्री बनोटे, श्रद्धा मरकाम, वंदना जायसवाल, ज्योति आदि जुटे हुए हैं। ऐसे कोरोना योद्वाओं को सैल्यूटहै।