कृष्ण सखी संस्था द्वारा कोरोनाकाल में मुक्तिधामों में जमा अस्थियों का किया जारहा है, नर्मदा में विसर्जन
इंदौर,। कोरोनाकाल में तमाम लोग अलग-अलग तरह से सेवा की मिसाल पेश कर रहे हैं। भोजन सेे लेेकर उपचार और आॅक्सीजन से लेकर दवा तक की मदद के बाद शहर के युवाओं ने अनोखी सेवा शुरू की है। संस्था कृष्ण सखी के युवाओं की सेवा श्मशानों-मुक्तिधामों से होकर नर्मदा घाट पर संपन्न हो रही है। कोरोनाकाल में दाह संस्कार के लिए लगी कतारें और फिर मुक्तिधामों में लावारिस की तरह जमा अस्थियों का संस्था सदस्य पवित्र नर्मदा में विधि-विधान के साथ विसर्जन कर रहे हैं।
संस्था के सेेवादार शहर के मुक्तिधामों मेें कई दिन से जमा अस्थियों का नर्मदा तट पर कर्मकांड के बाद विसर्जन कर रहे हैं। बीतेे दिनों से येे सेेवा लगातार जारी है। बुधवार-गुरुवार को जूनी इंदौर, रीजनल पार्क और पंचकुइया मुक्तिधामों मेें जमा अस्थियों का विसर्जन खेेड़ी घाट पर किया गया। संस्था के सन्नी गजरे, सूरज जोशी, पवन अग्रवाल व शशि सातपुते अलग-अलग दिन जाकर ऐसा कर रहे हैं। संस्था संयोजक जया मिलिंद तिवारी के अनुसार बीतेे दिनों मेरी सास कृष्णा तिवारी की मौत हुई तो शहर के श्मशानों में अंतिम संस्कार के लिए भी कतारें लग रही थी। हमनेे तो विधि-विधान से संस्कार कर दिया, लेेकिन श्मशान में पता चला कई लोगों के स्वजन अस्थि संचय के लिए नहीं आ रहे। महामारी के दौर मेें कई परिवारों में तो कोई बचा ही नहीं और कई लोगों में डर है। मुक्तिधामों में अस्थियां कुछ दिन रखकर नगर निगम के हवाले कर दी जाती है। यह दृश्य देेखा तो विचार आया, क्यों न इनका भी विधि-विधान से विसर्जन हो, ताकि मृतकों की आत्मा को शांति मिल सके। इसके बाद श्मशान घाटों में पहुंचकर मुक्तिधाम समितियों से अनुमति ली गई। अस्थि संचय करवाकर उन्हेें नर्मदा तट पर भेज रहे हैं। वहां पंडित से पिंडदान और पूजन केे बाद नर्मदा में विसर्जन करते हैं। संस्था के स्वयंसेवी बारी-बारी से अस्थि संचय से लेकर विसर्जन में हाथ बंटा रहे हैं। एक दिन पहले पहुंच कर मुक्तिधामों में अस्थियों का पता लगाया जाता है। अगली सुबह नर्मदा तट पर ले जाकर विसर्जन किया जाता है।
-बुधवार को संस्था के सदस्यों को पहुंचने में आधे घंटे की देरी हुई तो जूनी इंदौर मुक्तिधाम पर जमा अस्थियों को निगम वाले ले गए। ऐसे में हमें हर दिन सुबह जल्द पहुंचने का ध्यान भी रखना पड़ता है।