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कोरोना का कहर-दो जवान बेटों की लाश को कंधा देने के बाद पिता ने भी तोड़ा दम,


नोएडा।बेटों की मौत के कुछ दिन बाद पिता को भी कोरोना हो गया। उन्‍हें इलाज के लिए ग्रेनो वेस्ट में प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। रात में तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई तो घरवाले उनको नोएडा प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। वहां पर उन्होंने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया।
ग्रेनो वेस्ट के गांवों में कोरोना का कहर अभी भी जारी है। जलालपुर गांव में 9 मई को एक घंटे के अंतराल में हुई दो जवान बेटों की मौत के बाद शनिवार को पिता की भी कोरोना में इलाज के दौरान मौत हो गई। अतर सिंह का पूरा परिवार उजड़ जाने से जलालपुर समेत आसपास के गांवों में मातम छाया हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि अतर सिंह के परिवार में एक बेटा बचा है और अब उसके कंधों पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी आगई है। गांव में ही मिथलेश नाम की महिला की भी मौत हो गई। वह भी लंबे समय से ग्रेनो के जिम्स में भर्ती थीं।
जलालपुर गांव निवासी रविंद्र भाटी ने बताया कि अतर सिंह के तीन बेटे थे। 9 मई को दो बेटों की एक-एक घंटे के अंतराल में मौत हो गई थी। सबसे पहले बेटे पंकज (24) की 9 मई को अचानक मौत हो गई। गांववालों के साथ बेटे को मुखाग्नि देकर अतर सिंह घर पहुंचे ही थे कि दूसरे बेटे दीपक (28) की मौत हो गई। उनका कहना है दोनों बेटों की मौत कोरोना से ही हुई थी क्योंकि उनमें उसके ही लक्षण थे।
पिता भी चले गए सदमे में-28 अप्रैल से गांव में मौत का तांडव शुरू हुआ था जो अभी भी जारी है। दो बेटों की मौत के बाद पिता अतर सिंह सदमे में चले गए। बेटों की मौत के कुछ दिन बाद उनको भी कोरोना हो गया। अतर सिंह को इलाज के लिए ग्रेनो वेस्ट में प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। रात में तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई तो घरवाले उनको नोएडा प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। वहां पर उन्होंने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया।
गांव में इनकी भी गई जान-उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में ही इसी तरह गांव में ऋषि नागर, राजीव नागर, नंदू, राधेश्याम, हनीस, असगरी, लेखराज, चरण सिंह, लीलावती, सरोज, अतुल, अंगुरी, दयावती, मिथलेस की मौत हो गई।
गांववालों का सवाल- ये कोरोना नहीं तो क्या?-गांववालों का कहना है कि इस तरह गांव में इतनी मौतें ही रही हैं लेकिन जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। केवल एक दिन कोरोना जांच कैंप लगाया। सैनिटाइजेशन भी हमने खुद करवाया। ग्रेनो वेस्ट में 500 बिस्तर का हॉस्पिटल बनवाने की मांग की है। गांव में घर-घर वैक्सीनेशन कराने की मांग भी कर चुके हैं लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान है।

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