जल्द फास्टैग से लिंक होगा ई-वे बिल, टोल से जैसे ही निकलेगा ट्रक, पता चल जाएगा
भोपाल।बोगस बिलों के जरिए माल बुलवाना और बिना माल बुलवाए सिर्फ कागजों पर सप्लाई दिखा देना, ये दोनों ही फर्जीवाड़े अब मुमकिन नहीं होंगे। दरअसल, जी.एस.टी. विभाग ई-वे बिल को फास्टैग से जोड़ने जा रहा है। जून से यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी। इसमें जैसे ही व्यापारी ई-वे बिल जनरेट करने के बाद उसमें सामान लाने या फिर ले जाने वाले वाहन का नंबर डालेगा, वैसे ही यह नंबर फास्टैग से लिंक हो जाएगा।
इसके बाद वाहन जिस-जिस टोल से गुजरेगा, उसकी जानकारी जीएसटी विभाग के अफसरों को अपने स्मॉर्टफोन के एप से मिल जाएगी। जीएसटी अधिकारी टोल के साथ रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी सेे वाहनों की रियल टाइम मॉनिटरिंग भी कर सकेंगे। इसके जरिए यह सुनिश्चित होगा कि व्यापारी जिस माल को जहां बुलवाने या फिर भेजने के लिए ई-वे बिल लेंगे, वे वही माल भेजें या बुलाएं जा सकेगें।
प्रदेश में हर साल 10 हजार करोड़ रु. का नुकसान बचेगा
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जीएसटी के अस्तित्व में आने के बाद बोगस सप्लाई के जरिए टैक्स क्रेडिट लेने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था। मप्र जीएसटी इंटेलीजेंस ने इस साल अकेले भोपाल में करीब 700 करोड़ रुपए की बोगस सप्लाई के मामले पकड़े हैं। जीएसटी विशेषज्ञ मुकुल शर्मा के मुताबिक यह एक क्रांतिकारी कदम है, क्योंकि प्रदेश में हर साल 30 हजार करोड़ रु. का जीएसटी कलेक्शन है। लेकिन बोगस सप्लाई के कारण हर साल करीब 10 हजार करोड़ रु. का राजस्व नुकसान होता है। नई व्यवस्था से इस पर रोक लगेगी।