व्यापार

जून में शादियों के 14 मुर्हूत, अनलॉक की खबरों ने जगाई उम्मीदें


भारत में गर्मियों का सीजन शादी-विवाह और उपनयन जैसे आयोजनों के लिए उपयुक्त माना जाता है। देश में अधिकतर शादियां गर्मी के मौसम में ही होती हैं। इस दौरान स्कूलों की छुट्टियां भी रहती हैं और किसानों के पास भी कोई काम नहीं रहता। चूंकि देश की बड़ी आबादी किसानी का काम करती है। इस वजह से गर्मी में शादियां ज्यादा होती हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण पिछले 2 सालों से गर्मी में लॉकडाउन लगा रहा है और शादियां नहीं हो पा रही हैं। यही वजह थी कि पिछले साल ठंडी के मौसम में खूब शादियां हुई थी।
इस साल भी कोरोना के चलते अब तक गर्मी के दिनों में शादियां नहीं हो पाई हैं। देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब कम हुआ है और उम्मीद जताई जा रही है कि 1 जून से लॉकडाउन हटाया जा सकता है। इस साल गर्मी के सीजन में कुल 34 शुभ मुहूर्त थे। इनमें से 20 लॉकडाउन में बीत चुके हैं। अब बचे हुए 14 दिनों में ही सामाजिक आयोजन हो पाएंगे।
आयोजन ना होने से हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को नुकसान-शादी के सीजन में सराफा, कपड़ा, ट्रेलरिंग, ाश्रृंगार, ब्यूटी पार्लर, मेहंदी, मिठाई, किराना दुकानों में सबसे ज्यादा कारोबार होता था। शादियों की सीजन के शुरुआती दौर में ही 9 अप्रैल को लॉकडाउन लग गया था। लॉकडाउन के कारण सब बंद होने से पुरोहितों से लेकर हर सेक्टर के लोगों को खासा नुकसान हुआ है।
पंडितों की हालत भी खराब-शादी सीजन में पंडितों के पास अच्छा खासा रोजगार रहता था और उनकी जमकर आमदनी होती थी। आम समय में लोगों के पास पैसा भी ठीक-ठाक होता था और वो दिल खोलकर दान दक्षिणा देते थे। पिछले दो सालों से उनकी हालत भी खराब है। इस साल 22 अप्रैल से शादियों का सीजन शुरू होने वाला था, लेकिन इससे पहले 9 अप्रैल से सख्त लॉकडाउन हो गया। सबसे बड़ा अबूझ मुहूर्त अक्षय तृतीया भी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया। केवल इस दिन ही 100 से 150 शादियां होती थीं।
3 जुलाई को है आखिरी मुहूर्त-इस सीजन में अब केवल 14 शुभ मुहूर्त ही बचे हैं। मई में 26, 29, 30, 31 तारीख और जून में 4, 5, 6, 18, 19, 20, 26, 27, 28 एवं 30 तारीख को शादी के लिए उचित समय है। जुलाई में आखिरी मुहूर्त 3 तारीख को है। इसके बाद जुलाई में चातुर्मास के कारण मुहूर्त नहीं है। नवंबर के महीने में देवउठनी एकादशी से शादियों का सीजन फिर से शुरू होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button