मध्य प्रदेश

सहकारी बैंक से राशि निकालने के किसानों को देना पड़ रहे थे 500 रुपये,


विदिशा।शमशाबाद। जिले की शमशाबाद तहसील मुख्यालय पर स्थित सहकारी बैंक में अपनी ही राशि निकालने के लिए किसानों को पांच-पांच सौ रुपये देना पड़ रहा था। यह राशि बिना टोकन के भुगतान के लिए एक दलाल द्वारा एक बैंक कर्मी की मिलीभगत से ली जा रही थी। शुक्रवार को एक किसान ने राशि देते हुए वीडियो बनाया और उसे इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद मौके पर पहुंचे प्रशासन ने बैंक पहुंचकर जब जांच की तो किसान की शिकायत सही पाई गई। तहसीलदार हर्ष विक्रमसिंह ने बैंककर्मी और दलाल के खिलाफ पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कराने का आवेदन दे दिया है।
एक दिन पहले ही यह सहकारी बैंक राशि निकालने के लिए रतजगा कर रहे किसानों की परेशानी को लेकर प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया में चर्चा में आई थी। शुक्रवार को यहां की व्यवस्था सुधरने की बजाए पुलिस जवानों के सामने किसानों से राशि निकालने के नाम पर पैसे वसूलने का मामला सामने आ गया। मालूम हो जिले में इन दिनों समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के बाद किसानों का भुगतान इसी बैंक में जमा हो रहा है। जिसे निकालने के लिए सहकारी बैंकों की शाखाओं में किसानों की भीड़ उमड़ रही है।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने कुछ दिन पहले शमशाबाद सहकारी बैंक में टोकन व्यवस्था शुरू की थी। जिसमें प्रतिदिन 150 किसानों का भुगतान किया जाना था। इस व्यवस्था में भी बैंककर्मियों ने दलालों के साथ मिलकर सेंध लगा दी। उन्होंने टोकन के बजाय सीधे भुगतान के नाम पर किसानों से प्रति चेक 500 रुपये वसूलना शुरू कर दिए। एक किसान की जागरुकता के बाद शुक्रवार को इस लेनदेन का खुलासा हुआ।
लिपिक की मदद से इस तरह हो रही थी वसूली-टोकन व्यवस्था शुरू होने के बाद बैंक के बाहर किसानों की लंबी कतार लगने लगी थी। हर किसान जल्दी बैंक से राशि निकालने की तैयारी में रहता था। इसलिए कई किसान रात में ही बैंक पहुंच रहे थे। इस स्थिति को देखते हुए दिन में आने वाले किसानों को परेशान होना पड़ रहा था। किसानों की इसी स्थिति का बैंक के लिपिक राजेश गुप्ता और बैंक के सामने पान की गुमठी चलाने वाले राजेश कुशवाह ने फायदा उठाया। दलाल राजेश कुशवाह किसानों से प्रति पासबुक 500 रुपये लेता था। खुद अपने हाथ से निकासी रसीद तैयार करता था और सीधे बैंककर्मी राजेश गुप्ता को पासबुक दे देता था। जिसके बाद किसान को बिना लाइन में लगे राशि का भुगतान हो जाता था। इसकी वजह से घंटों लाइन में लगने वाले किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा था।
तंग आकर किसान ने बनाया था वीडियो-इस दलाली का पर्दाफाश करने वाले किसान ओमप्रकाश गुर्जर ने बताया कि वे तीन दिनों से राशि निकालने के लिए बैंक आ रहे थे। लेकिन उनका नंबर ही नहीं लग रहा था। शुक्रवार को उन्होंने बैंक के सामने ही दलाल राजेश कुशवाह से दो पासबुक से राशि निकालने का सौदा किया। इसके बदले उन्होंने राजेश को 1000 रुपये नगद दिए। इसके बाद उनका भुगतान हो पाया। उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर पैसे देते हुए वीडियो बना लिया और उसे इंटरनेट मीडिया पर जारी कर दिया। इधर, एक अन्य किसान संजय गुर्जर ने बताया कि उन्होंने चार पासबुक से राशि निकालने के लिए राजेश को 2 हजार रुपये दिए थे।

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