ग्वालियर । प्रतिवर्ष अनुसार स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत की 163 वी वर्षगांठ पर 22वां वीरांगना बलिदान दिवस का आयोजन 17 – 18 जून को ग्वालियर स्थित समाधि पर होगा ।
वीरांगना बलिदान मेला के संस्थापक अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने आज कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि संपूर्ण आयोजन कोविड संक्रमण के कारण गाइडलाइन की मर्यादा में सीमित संख्या में होंगे । उन्होंने कहा कि सन 2000 से स्थापित बलिदान मेला की परंपरा का पावन दीप बुझने न पाये इसलिए गरिमामय तो होगा लेकिन महानाट्य या कवि सम्मेलन प्रत्यक्ष किया तो हजारों लोगों का आना मानवता के लिये संकट होगा, जो हमें स्वीकार नहीं। संकटकाल में समाज हित में यह समझौता हमारा युग-धर्म है।
श्री पवैया ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि 17 जून की सांय 7 बजे बुंदेली युवाओं के द्वारा झांसी दुर्ग से “शहीद ज्योति” आयेगी जिसे पड़ाव चौराहे से अगवानी कर समाधि तक समारोह पूर्वक ले जायेंगे तथा 20 नागरिकों की उपस्थिति में 7:30 बजे बलिदान भूमि पर स्थापित किया जायेगा, मातृशक्ति पुष्प वर्षा करेगी। इसी समय ठीक शाम 7:45 से 8 के बीच शहर के प्रमुख 51 चौराहों पर एक साथ रानी के चित्र के समक्ष 21 दीप शहीदों, क्रांतिकारियों के नाम जलाये जाएंगे व राष्ट्रगीत गायन होगा। शहर के देशभक्त संगठनों के सीमित प्रतिनिधि एवं नागरिक उपस्थित रहेंगे ।
18 जून की सुबह 8 बजे पुष्पांजलि के पश्चात समाधि के सामने प्रांगण में 8 से 10 बजे तक श्रद्धांजलि पर नगर के 20 गणमान्य बैठेंगे, भजनांजली होगी तथा कोरोना योद्धा के रूप में चयनित मातृशक्ति की 5 प्रतिनिधियों का सम्मान होगा । 18 जून की सांय 8:30 से 9:30 वर्चुअल कवि सम्मेलन में देश के विख्यात ओज कवि विनीत चौहान व शशिकांत यादव काव्य पाठ करेंगे। उन्होंने अपील की कि कार्यक्रमों में सामाजिक दूरी , माश्क व संख्या की दृष्टि से अनुशासन कायम रखा जाये और माता-पिता अपने बच्चों को ग्वालियर में रानी के बलिदान की कहानी जरूर सुनायें।