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300 साल बाद गांव में हुई घुड़चढ़ी

सरपंच वीर सिंह के प्रयासों से परंपरा टूटी

दादरी। 300 साल पहले दादरी रोड से गोविंदपुरी गांव बसाया गया था गांव में 2 जातियां हैं गांव राजपूत बाहुल्य और दूसरा अनुसूचित समाज है गांव के सरपंच वीरसिंह ने बताया कि जब से गांव बसा है तभी से यह परंपरा चली आ रही थी कि अनुसूचित समाज के लोग गांव में घुड़चढ़ी नहीं निकालेंगे रविवार को इस परंपरा को तोड़ते हुए गांव के युवक विजय कुमार की घुड़चढ़ी बड़े धूमधाम से बारात निकाली गई उसकी शादी रोहतक जिले में लाखनमाजरा निवासी पूजा के साथ हुई है गांव में पूरी तरह से शांति और किसी ने इसका विरोध नहीं किया

जानकारी के अनुसार सरपंच वीरसिंह राजपूत ने बताया कि 3 साल पहले गांव में पंचायत की थी पंचायत में निर्णय किया था कि अब गांव में अनुसूचित समाज को घुड़चढ़ी निकालने से कोई नहीं रोकेगा मगर इसके बाद भी लोग आगे नहीं आ रहे थे पंचायत के फैसले के बाद भी लोग इन बेडियो में बंधे हुए थे अब विजय ने हिम्मत जुटाई और घुड़चढ़ी निकालने के लिए मुझसे संपर्क किया तो मैं उसकी सहायता के लिए तुरंत तैयार हो गया

वही विजय की घुड़चढ़ी के बाद गांव के अनुसूचित समाज के परिवारों में खुशी का माहौल है विजय के बड़े भाई दयाचंद ने कहा कि अनुसूचित समाज में खुशी का माहौल है चाचा नरसिंह फोरमैंने ने कहा कि आज लग रहा है फिर हमारी भी गांव में इज्जत है गांव से स्नेह और प्यार मिला है उसके लिए आभारी है पूर्व पंचायत सदस्य जय प्रकाश और जयभगवान का कहना है कि सरपंच वीरसिंह की कोशिशों से यह ऐतिहासिक परिवर्तन हो सका है

विजय कुमार की हिम्मत के चलते ही परंपरा छोड़ने में सफलता मिली है 3 साल से कोशिश कर रहा था पर कोई भी इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था गांव में पूरी तरह से शांति का माहौल है किसी ने भी इस घुड़चढ़ी का विरोध नहीं किया भविष्य में लोगों के बीच इसी तरह का प्यार और सद्भाव बना रहेगा

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