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आगरा विवि में सक्रिय फर्जी मार्कशीट डिग्री बनाने वाला रेकैट पकड़ा

आगरा।डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में दूरदराज से आने वाले छात्र दलालों के चक्कर में फस कर रह जाते हैं. विश्वविद्यालय की गलतियों का खामियाजा छात्रों को झेलना पड़ता है, जिसकी उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर छात्र को बड़ी कीमत कैसे चुकानी पड़ती है. विश्वविद्यालय के चक्कर काट काट कर छात्र परेशान हो जाता है. इसी परेशानी के चलते विश्वविद्यालय के सक्रिय दलालों के चक्कर में फस जाता है. जब काम जल्दी नहीं होता है तो दलाल उनको फर्जी डिग्री, अंकतालिका देकर मोटी रकम ऐठ लेते हैं, जिसका खामियाजा उनको नौकरी लगने के बाद वेरिफिकेशन होने पर उठाना पड़ता है. कई छात्र तो ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी की पूरी नौकरी करने के बाद फर्जी साबित होने पर सब कुछ गवा दिया लेकिन इसके बावजूद भी फर्जीवाड़े का काम बंद नहीं हुआ. सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय में कुछ ऐसे दलाल है जो फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाते हैं. अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगता हैं.B.Ed 2005, 2013 में हुआ था बड़ा फर्जीवाड़ाB.Ed 2013 में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया जिसमें हजारों की तादाद में फर्जी शिक्षक बन गए. जब उनकी शिक्षा विभाग द्वारा द्वारा वेरिफिकेशन कराई गई तो कई शिक्षकों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ गई जिसके चलते विश्वविद्यालय में जमकर हंगामा भी हुआ. छात्र कोर्ट पहुंचे जिसके बाद दोबारा चार्ट बनवाए गए और जो फर्जी थे उनको चिन्हित करके लिस्ट जारी कर दी. ऐसे कई मामले विश्वविद्यालय में अब भी लंबित चल रहे हैं.कई छात्रों ने रो-रोकर सुनाई आपबीतीविश्वविद्यालय से उत्तीर्ण करने वाले छात्र आज भी रो रहे हैं. ऐसे ही कुछ छात्रों से हमारी मुलाकात हुई उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के बहार मौजूद दलालों द्वारा हमको फर्जी मार्कशीट तत्काल बनाकर दी गई, जिसको हमने कई सरकारी नौकरियों में लगाकर आवेदन किया लेकिन जब हमको इस बात का मालूम हुआ तो हमारे होश उड़ गए. इस समय हम कहीं के नहीं रह गए इसमें कहीं ना कहीं कमी विश्वविद्यालय की भी है. अगर समय पर छात्रों को डॉक्यूमेंट उपलब्ध करा दिया जाए तो छात्र ऐसे दलालों के चक्कर में नहीं फसेंगे.

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