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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 2022 पर विशेष

आत्म: इंद्रिय मन: स्वस्थ: स्वास्थ्य इति अवधीयते।

आओ मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को सभी के लिए वैश्विक प्राथमिकता बनाएं

वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में बात करने के महत्व को महत्वपूर्ण समझना महत्वपूर्ण है – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर तेजी से बदलते परिपेक्ष मैं मनीषी जीवो के सम्मुख दो परिस्थितियों के परिणामों से रूबरू होना जरूरी है, पहला पारंपरिक, हस्तगत और शारीरिक श्रम का स्थान डिजिटल युग को हस्तगत होते जा रहा है जिसका सीधा संबंध मानसिक बौद्धिक और तकनीकी पर निर्भरता है और दूसरा कोविड महामारी के बाद बढ़े हुए हृदय रोग, साइलेंट हार्ट अटैक के मामलों के लिए भी तनाव चिंता को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है इसलिए अब हमारे लिए यह जरूरी हो गया है कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में बात करना और उसके महत्व को समझना महत्वपूर्ण हो गया है। चुंकि 10 अक्टूबर 2022 को हम विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाएं हैं, इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से इस 2022 की थीम पर चर्चा करेंगे कहेंगे आओ मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को सभी के लिए वैश्विक प्राथमिकता बनाएं।
साथियों बात अगर हम मानसिक स्वस्थ्य रहने की करें तो हमें तनाव से दूर रहना होगा, यह बात हर किसी को हर दिन याद रखनी चाहिए, कि तनाव किसी भी समस्या का हल नहीं होता बल्कि कई अन्य समस्याओं का जन्मदाता होता है। उदाहरण के लिए तनाव हमको अत्यधिक सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त करता है। दुनिया में सबसे अधिक हार्ट अटैक का प्रमुख कारण मानसिक तनाव होता है। यह हमारा स्वभाव चिड़चिड़ा कर हमारी खुशी और मुस्कान को भी चुरा लेता है। इससे बचने के लिए तनाव पैदा करने वाले अनावश्यक कारणों को जीवन से दूर करना जरूरी ही नहीं अनिवार्य हो गया है।
साथियों चूंकि पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहा है, और तनाव से दूर रहने के लिए प्रयास कर रहा है, तो हम भी यह संकल्प लें, कि किसी भी समस्या में अत्यधिक तनाव नहीं लेंगे। क्योंकि यह कई तरह की शारीरिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। आखिरकार तनाव लेने ये समस्या सुलझने के बजाए और अधिक जटि‍ल हो जाती है, तो बेहतर यही है कि उन्हें शांति से समझते हुए हल किया जाए। समस्या में मुस्कुराना क्यों भूला जाए!
साथियों बात अगर हम, हाल के वर्षों की करें तो मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में बहुत सारी बातें देखी गई हैं। पर्याप्त सबूतों से पता चला है कि कैसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, और कैसे एक के इष्टतम को दूसरे की देखभाल किए बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। हम अभी भी मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा को उतना महत्व नहीं देते जितना हमें करना चाहिए। सोशल मीडिया के युग में, बच्चों के आत्म-सम्मान के स्तर में गिरावट देखी गई है। इस प्रकार, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में बात करने के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है।
साथियों पर्याप्त नींद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। नींद की गुणवत्ता और अवधि को बेहतर रखकर तनाव-चिंता और अवसाद जैसे विकारों के जोखिम को कम किया जा सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि रात में 6-8 घंटे की निर्बाध नींद लेने वालों की तुलना में नींद विकारों या नींद न पूरी कर पाने वाले लोगों में कई प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकारों का जोखिम अधिक पाया गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों को अच्छी नींद प्राप्त करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं, हमारी दिनचर्या की कई गड़बड़ आदतों के कारण भी मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है। लोगों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता, स्क्रीन टाइम, नींद की कमी की समस्या के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकारों में उछाल देखा जा रहा है। लाइफस्टाइल के अलावा आनुवांशिक रूप से भी इसका जोखिम हो सकता है।
साथियों बात अगर हम कोविड महामारी के मानसिक स्वास्थ्य पर असर की करें तो, अध्ययनों में पाया गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आया है। कम उम्र के लोगों में तनाव-चिंता और गंभीर स्थितियों में अवसाद की समस्या देखी जा रही है। महामारी ने मनोवैज्ञानिक तौर पर लोगों की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। कोविड-19 के बाद बढ़े हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामलों के लिए भी तनाव-चिंता को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में वैश्विक स्तर पर लोगों को शिक्षित-जागरूकता करने और सामाजिक कलंक की भावना को दूर करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
साथियों बात अगर हम मनीषियों के मानसिक स्वस्थ होने की बात संस्कृति के श्लोक से करें तो, आत्म: इंद्रिय मन: स्वस्थ: स्वास्थ्य इति अवधीयते। चरक संहिता के इस श्लोक के अनुसार जिसकी आत्मा, मन एवं इंद्रियां स्वस्थ हों, वही वास्तव में स्वस्थ है। 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णत: स्वस्थ होना ही स्वास्थ्य का प्रतीक है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और तंदुरुस्ती हजार नियामत है, जैसी सूक्तियां हमारे यहां बच्चे-बच्चे के जुबां पर हैं।
साथियों बात अगर हम इस वर्ष 2022 की थीम की करें तो, मानसिक स्वास्थ्य और सभी के लिए कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाना’ 2022 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम एक अभियान का विषय है जिसे डब्ल्यूएचओ द्वारा भागीदारों के सहयोग से शुरू किया गया है। यह उन लोगों के लिए एक मौका होगा जिनके पास मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे हैं, अधिवक्ताओं, सरकारों, नियोक्ताओं, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों के लिए इस क्षेत्र में प्रगति को स्वीकार करने और मानसिक स्वास्थ्य और अच्छी तरह से सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए, इसके बारे में मुखर होने का मौका होगा- विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर कहता है कि सभी के लिए वैश्विक प्राथमिकता बन गई है।
साथियों जैसे-जैसे समय बदला, वैसे ही विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम भी बदली। महिलाओं, बच्चों, स्वास्थ्य, रोजगार, आघात, आत्महत्या, और बहुत कुछ जैसे विषयों को शामिल करने के लिए प्रवचन का विस्तार किया गया। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में शामिल विषयों के इस विस्तार के परिणामस्वरूप, औसत व्यक्ति अब मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 2022 पर विशेष है। आओ मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को सभी के लिए वैश्विक प्राथमिकता बनाएं। वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में बात करने के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है,जिस पर तात्कालिक ध्यान देना समय की मांग है, जिसपर तात्कालिक ध्यान देना समय की मांग है।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

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