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वर्तमान लड़ाई देशद्रोहियों और देशभक्तों के बीच

” वर्तमान लड़ाई देशद्रोहियों और देशभक्तों के बीच “
मैं कई वर्षों से लिख रहा हूं कि मोदी सरकार आने के बाद देशद्रोही नेता और पत्रकार खुलकर सामने आ गए हैं। आज पांच शहरों में न्यूज क्लिक के विरुद्ध यूएपीए के तहत १०० ठिकानों पर छापेमारी पुलिस द्वारा की गई। जिससे देशद्रोही नेता और पत्रकार बिलबिला उठे हैं। इस कार्रवाई पर देशद्रोही नेता अखिलेश यादव, अजीज खान, संजय सिंह ( आप ) जैसे कुछ अन्य नेता व पत्रकार बुरी तरह बौखला गए हैं और मुखर होकर देशद्रोही धाराओं के तहत की जा रही कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। दोनों का एक ही उद्देश्य है सत्ता के माध्यम से जनता का धन लूटना। इन नेताओं और पत्रकारों को विदेशों से धन मिल रहा है क्योंकि कुछ देशों को भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत से तकलीफ हो रही है इसलिए वे भारत में जयचन्दों के द्वारा देश को कमजोर कर देना चाहते हैं।
तीन कृषि कानून जो आढ़तियों के विरुद्ध और किसानों के हित में थे अगर लागू हो जाते तो किसान मजबूत हो जाते जिससे देश सुदृढ़ होता। लेकिन इससे नेताओं को अवैध वसूली और चंदा मिलने में दिक्कत आ रही थी। दूसरी ओर भारत के बाहर जो भी देश हैं उनमें से कुछ देशों को भारत की मजबूती सहन नहीं हो रही इसलिए उन्होंने देश के कुछ दलों के नेताओं को खरीद लिया और उनके माध्यम से इन कानूनों का विरोध कराया। अन्ततः पीएम मोदी को कृषि कानून वापस लेने पड़े। यहां सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में तो देशभक्त जज बैठे हैं तो इन्होंने इन तीनों कानूनों पर आई रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक क्यों नहीं किया? जब नरेन्द्र मोदी ने आन्दोलन से मजबूर होकर तीनों कृषि कानून वापस ले लिए तब रिपोर्ट आने के नौ महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को सही क्यों बताया? जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह रिपोर्ट तत्काल सार्वजनिक कर दी जाती तो आज किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती।
यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पुराने कृषि कानून से बगैर निवेश किए पंजाब के बादल परिवार को ११ हजार करोड़ रुपए और शरद पवार परिवार को ५ हजार करोड़ रुपए की आय कमीशन के रूप में प्रतिवर्ष प्राप्त होती है। इसलिए उक्त कानूनों का पुरजोर विरोध किया गया। बरसात के कारण टमाटर नष्ट हो गए और २०० रुपए प्रति किलो बिके। लेकिन अब टमाटर इतने ज्यादा हो गए कि किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा और टमाटर फेंकने पड़ रहे हैं लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट समय रहते कृषि कानूनों की रिपोर्ट सार्वजनिक कर देता या विपक्षी दलों ने खालिस्तानियों के साथ मिलकर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आन्दोलन नहीं किया होता तो आज किसानों को टमाटर फेंकने नहीं पड़ते। कुछ देशभक्त पत्रकारों को भी उनकी अज्ञानता के कारण मेरी बात बहुत बुरी लगेगी। उन्हें इस बात को गंभीरता से समझना चाहिए।
आज विपक्ष जाति के आधार पर आरक्षण की बात कर रहा है तो जब ये सत्ता में थे तब उन्होंने इस पर अमल क्यों नहीं किया? कारण एक ही है कि इस समय इन्हें भारत के शत्रु देशों से धन मिला है भारत को कमजोर करने के लिए ताकि २०२४ में मिलीजुली ऐसी सरकार आए जो बहुत कमजोर हो। देश का विकास रुके, आर्थिक स्थिति कमजोर हो, देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाए। — नवल सिंह बुन्देला, वरिष्ठ पत्रकार आजाद समाचार संकेत

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