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करैरा राजस्व एवं वन विभाग की भूमि पर अबैध उत्खनन ।प्रशासन और माफिया मस्त, जनप्रतिनिधि मौन । खनिज संपदा की होती चोरी ।

करैरा शासकीय एवं वन विभाग की भूमि पर अबैध उत्खनन ।
प्रशासन और माफिया मस्त,जनप्रतिनिधि मौन । खनिज संपदा की होती चोरी
* बृजेश पाठक जिला अधिमान्य वरिष्ठ पत्रकार *
करैरा -शिवपुरी जिले के करैरा नगर के पास से निकले नैशनल हाईवे के पास टीला रोड पर इन दिनो राजस्व एवं वन विभाग प्रशासन की घोर लापरवाही और कर्तव्य विमूडता के चलते माफियाओं ने अरबो रुपया की शासकीय राजस्व एवं वन भूमि पर कब्जा कर करोड़ों रुपए की खनिज संपदा की चोरी कर ली है । वहीं दूसरी और टीला रोड पर वन विभाग की बाउंड्री को वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से मिलकर भू माफिया ने हटाकर अरबों रुपए की बैस कीमती जमीन पर प्लाटिंग करना शुरू कई सालों से प्रारंभ कर दिया है, वर्तमान में भी उनका गोरख धंधा फल फूल रहा है । आवश्यकता है जिलाधीश द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाए ।और सूत्रों के मुताबिक बे रोक टोक अबैध उत्खनन वन विभाग की पहाडी से फोडे जा रहे पत्थर व मुरम का होरा है , लोगो का कहना है कि लोकसेवा केंद्र के आगे नाले से लगी पीछे की भूमि वनविभाग की शासकीय भूमि है । जिसमे भू माफियाओं ने बगैर डायवर्सन के भवन निर्माण कर दिये है । कुछ जानकारो ने नाम ना छाप ने की सर्त पर हमारे संवाददाता को वताया की अगर सन 1980 का नक्सा देखा जाऐ तो सब दूध का दूध पानी का पानी हो जाऐगा । करैरा नगर मे करोड़ो ,अरवो रू की शासकीय भूमि पर दंवग भू माफियाओ का कब्जा । फिर भी जिम्मेदार है मोन ? प्रशासन और भूमाफिया खंनिज माफिया मस्त, जनप्रतिनिधि मौन ?
। क्योंकि प्रश्न उठता है की शासकीय जमीनों पर भू माफिया ने प्रशासन से मिलकर कब्जा कर लिया है और लोगों को करोड़ रुपए में बेच दी है ।
वन विभाग एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ ईमानदार आईएएस, आईएफएस अधिकारी चाहे तो करैरा वन विभाग की सीमा 1990 के नक्शे के मुताबिक देखें इसी प्रकार राजस्व विभाग के अधिकारी भी करेरा पटवारी हल्का कस्बा की जमीन को 1990 के नक्शे मुताबिक देखा जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी उनकी आंखों के सामने होगा । आज करैरा के आसपास के पहाड़ ,पहाड़ियां , जंगल और करैरा का किला भी अपने अस्तित्व को बचाने की गुहार शासन , प्रशासन से कर रहा है ।

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