विधानसभा उपचुनाव के लिए पार्टियों ने बुधनी और विजयपुर में उतारे प्रत्याशी ।
विधानसभा उपचुनाव के लिए पार्टियों ने बुधनी और विजयपुर में उतारे प्रत्याशी ।
बसपा ने अब तक नहीं खुले अपने पते
बुधनी सीट पर यादव और कार बहुमत में तो विजयपुर में 60000 करीब आदिवासी मतदाता
* बृजेश पाठक संपादक आजाद समाचार *
भोपाल । आजाद समाचार । कांग्रेस ने बुधनी और विजयपुर सीट पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव के लिए रविवार रात प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया। बुधनी से पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल और विजयपुर से मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी ने दोनों सीटों पर पूरी तरह से जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर टिकट दिए हैं। राजकुमार पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं, जबकि मुकेश मल्होत्रा आदिवासी समुदाय से हैं।
उपचुनाव में कांग्रेस का यह जातीय गणित कितना कारगर साबित होता है, इसका पता 23 नवंबर को चुनाव – नतीजे आने पर लगेगा। राजकुमार पटेल किरार जाति से ताल्लुक रखते हैं। बुधनी विधानसभा क्षेत्र में किरार मतदाताओं की संख्या 25 हजार से ज्यादा है। इसके अलावा इस सीट पर यादव मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। इसे देखते हुए कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को बुधनी में उपचुनाव की कमान सौंपी है।
अरुण यादव इस सीट से 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। राजकुमार पटेल छठी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1992 में बुधनी से उपचुनाव, 1993 व 2003 में विधानसभा चुनाव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने 2006 का उपचुनाव लड़ चुके हैं। पटेल ने 2023 में भोजपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। पांच चुनावों में पटेल ने सिर्फ एक बार 1993 में जीत दर्ज की थी।
भाजपा ने बुधनी सीट से पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया है। रमाकांत भार्गव जी का भी इस क्षेत्र में काफी अच्छा व्यवहार है ।
* विजयपुर में आदिवासी मतदाता तय करते हैं हार-जीत *
विजयपुर में करीब 60 हजार आदिवासी मतदाता हैं। इस सीट पर अब तक आदिवासी वोटर ही प्रत्याशियों की जीत-हार में मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। आदिवासी मतदाताओं का जिस ओर झुकाव होता है, उस पार्टी की जीत सुनिश्चित होती है।
भाजपा ने विजयपुर सीट से रामनिवास रावत को चुनाव मैदान में उतारा है। रावत ओबीसी वर्ग से आते हैं। कांग्रेस ने यहां रावत के सामने आदिवासी युवा नेता मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया है। मुकेश सहरिया आदिवासी हैं। उन्होंने पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ा था। उन्हें 44 हजार 128 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। मुकेश की लोकप्रियता और पिछले चुनाव में परफॉरमेंस को देखते हुए कांग्रेस ने उन पर दांव खेला है। वर्ष 2018 के चुनाव में जब रामनिवास रावत कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे, तो भाजपा प्रत्याशी सीताराम आदिवासी ने उन्हें चुनाव हरा दिया था।
भोपाल (आजाद समाचार)। विजयपुर और बुधनी उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी या नहीं, इस पर पार्टी सुप्रीमों ने अब तक फैसला नहीं लिया है। बसपा अगर उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारती है तो कांग्रेस की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। बसपा का कहना है कि – उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने को लेकर एक दो दिन में फैसला हो जाएगा। ग्वालियर-चंबल और विंध्य अंचल में बसपा का खासा प्रभाव है। उसके प्रत्याशी चुनाव में जीत भले ही दर्ज न कर पाएं पर वे स्थापित राजनीतिक दलों के चुनावी गणित को बिगाड़ देते हैं। श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पर बसपा का भी प्रभाव है। 2018 में यहां से बसपा से बाबूलाल मेवरा को टिकट दिया था। मेवरा तब भाजपा से बागी होकर हाथी पर सवार हुए थे। मेवरा ने तब 34 हजार 384 मत हासिल किए थे और कांग्रेस के रामनिवास रावत भाजपा के सीताराम आदिवासी से महज 2 हजार 980 मतों से चुनाव हार गए थे। 2023 में भाजपा ने आदिवासी को मिली कम मार्जिन से जीत के चलते उनका टिकट काटा और बाबूलाल मेवरा को अपना प्रत्याशी बनाया पर इस चुनाव में रावत ने अच्छे मतों से जीत हासिल की। हालांकि बसपा का प्रभाव बरकरार रहा और उसके प्रत्याशी दारा सिंह कुशवाहा ने 34 हजार 346 मत हासिल किए। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बसपा की मौजूदगी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाती है। इस बार कांग्रेस से नाता तोड़कर रामनिवास रावत भाजपा के टिकट पर मैदान में है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में भाजपा के बागी मुकेश मल्होत्रा को टिकट देकर चुनाव को रोचक बना दिया है। पिछली बार मुकेश मल्होत्रा को 44 हजार से अधिक मत मिले थे। तब वे निर्दलीय मैदान में उतरे थे। सहारिया जाति से आने वाले इस नेता की अपने समाज में बेहतर पकड़ है पर अगर यहां से बसपा अपना उम्मीदवार मैदान में उतारती है तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रहा सवाल बुधनी का तो यहां बसपा को खास असर नहीं है। यहां मख्य मकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होना है।